आपके शहर का काम
आपके शहर का काम अच्छा लगा
प्रेम-उल्फ़त का पैग़ाम अच्छा लगा
कैकयी को भरत से भी ज़्यादा कहीं
सौत का पुत्र भी राम अच्छा लगा
माँ के चरणों में हैं स्वर्ग के सुख सभी
चारों धामों से ये धाम अच्छा लगा
कर्म ही मेरी पूजा है अय दोस्तो
कौन कहता है आराम अच्छा लगा
क्रांति के भी लिए शान्ति के भी लिए
हमको ‘अनिरुद्ध’ का नाम अच्छा लगा
३० जून २०१४ |