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अनुभूति में दिलशेर दिल की रचनाएँ -

आने वाले
किस्मत में क्या लिखा है
घोंसला जब भी डाल पर
दुश्मन नहीं कोई
मिलने नहीं वो आए
सस्ता सा व्यापार

 

आने वाले

आने वाले आकर लौट गए!
शिकवे गिले मिटाकर लौट गए!

दूर बैठा जलता रहा एक सूरज,
सितारे जगमगाकर लौट गए!

उजालों ने ओढ़ ली है स्याही,
चिराग छटपटा कर लौट गए!

लहू, आँसू और न जाने क्या-क्या?
बादल भी बरसा कर लौट गए!

कैंचियाँ हवाओं की थीं मगर शुक्र है,
परिंदे 'पर' बचा कर लौट गए!

२६ जनवरी २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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