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अनुभूति में लक्ष्मण की रचनाएँ

अंजुमन में-
नजर ढूँढती रहे नजारा
न तलवारें उठाई हैं
फुरसत न थी

यों तो सबको

  यों तो सबको

यों तो सबको जीने का अधिकार मिला है
मात्र वही सुंदर है जिसको प्यार मिला है।

तुम ही मुझको, ऐ मेरे साथी, संभालना
इतना सुख जीवन में पहली बार मिला है।

मैंने हर रिश्ते में खाली लाभ तलाशा
मुझको अपने घर ही में बाजार मिला है।

चंद चाहतें जब मैंने नीवों को सौंपी
तब तो ऊपर उठने का आधार मिला है।

मुश्किल मौकों पर ही मुझसे मिलने आया
इक ऐसा भी यारो मुझ को यार मिला है।

कितने गम झेले हैं कितने अश्क बहाए
किसको ऐसे ही कविता का द्वार मिला है।

८ जुलाई २०१३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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