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अनुभूति में मेजर संजय चतुर्वेदी-अंजू चतुर्वेदी की रचनाएँ-

अंजुमन में-
आइना
जब से मैं
दादा-दादी
दिल जला फसलें जलीं
मेले में
सड़क
 

 

आइना

आज फिर सहमा हुआ है आइना
धूल के पीछे छुपा है आइना

आप आँखों में समाए हैं मेरे
इसलिये मुझ से ख़फ़ा है आइना

दिल में गम़ हो तो हँसी आती नहीं
तू भी मेरी शक्ल सा है आइना

कौन सी मिट्टी लगा कर पीठ में
काँच ख़ुद को कह रहा है आइना

पत्थरों से ख़ुद को चोटिल कर लिया
और अब ख़ंजर हुआ है आइना

२३ मार्च २००९

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