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अनुभूति में सीमा गुप्ता की रचनाएँ-

अंजुमन में-
इतिहास
इस तकलुफ़ का
ख्वाब जैसे ख्याल
शायरी नहीं होती
है ये शोला

 

इस तकलुफ का

इस तकलुफ़ का भी जवाब नहीं
बेवफाई का कुछ हिसाब नहीं

ख़त उसे मैं भी अब नहीं लिखती
भेजता वो भी अब गुलाब नहीं

आज पुरवाइयाँ सी चलती हैं
जख्मे को आज मेरे ताब नहीं

बस अँधेरा है और तन्हाई
मेरी बाँहों में माहताब नहीं

पढ़ सकेगा न कोई ए 'सीमा'
दिल हमारा है, ये किताब नहीं

९ मई २०११

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