अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में सूर्यभानु गुप्त की रचनाएँ-

अंजुमन में-
जिनके अंदर चिराग
दिल में ऐसे
दिल लगाने की भूल
सुबह लगे है यूँ
हर लम्हा ज़िंदगी

संकलन में-
वर्षा मंगल- जामुन का पेड़

' सुबह लगे है यूँ

सुबह लगे यूँ प्यारा दिन
जैसे नाम तुम्हारा दिन

पाला हुआ कबूतर है
उड़, लौटे दोबारा दिन

दुनिया की हर चीज़ बही
चढ़ी नदी का धारा दिन

कमरे तक एहसास रहा
हुआ सड़क पर नारा दिन

थर्मामीटर कानों के
आवाज़ो का पारा दिन

पेड़ों-जैसे लोग कटे
गुज़रा आरा-आरा दिन

उम्मीदों ने टाई-सा
देखी शाम, उतारा दिन

चेहरा-चेहरा राम-भजन
जोगी का इकतारा दिन

रिश्ते आकर लौट गए
हम-सा रहा कुँवारा

बाँधे-बँधा न दुनिया के
जन्मों का बन्जारा दिन

अक्ल़मन्द को काफ़ी है
साहब! एक इशारा दिन

१९ अप्रैल २०१०

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter