अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में उदयभानु हंस की रचनाएँ—

मुक्तक में- 
दस मुक्तक

अंजुमन में--
आदमी खोखले हैं
जिंदगी फूस की झोपड़ी
बैठे हो जब वो पास
मत जिओ सिर्फ अपनी खुशी के लिए
मन में सपने

 

मत जियो सिर्फ अपनी खुशी के लिए

मत जियो सिर्फ़ अपनी खुशी के लिए
कोई सपना बुनो ज़िंदगी के लिए।

पोंछ लो दीन दुखियों के आँसू अगर,
कुछ नहीं चाहिए बंदगी के लिए।

सोने चाँदी की थाली ज़रूरी नहीं,
दिल का दीपक बहुत आरती के लिए।

जिसके दिल में घृणा का है ज्वालामुखी
वह ज़हर क्यों पिये खुदकुशी के लिए।

उब जाएँ ज़ियादा खुशी से न हम
ग़म ज़रूरी है कुछ ज़िंदगी के लिए।

सारी दुनिया को जब हमने अपना लिया,
कौन बाकी रहा दुश्मनी के लिए।

तुम हवा को पकड़ने की ज़िद छोड़ दो,
वक्त रुकता नहीं है किसी के लिए।

शब्द को आग में ढालना सीखिए,
दर्द काफी नहीं शायरी के लिए।

सब ग़लतफहमियाँ दूर हो जाएँगी,
हँस मिल लो गले दो घड़ी के लिए।

७ दिसंबर २००९

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter