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अनुभूति में अक्षय कुमार की रचनाएँ—

छंदमुक्त में—
अंधियारे का एक पूरा युग
इनसारन और भगवान की दुनिया
उगा है कहीं सूरज
उलझी हुई गुत्थी
ऊँचे उठना चाहते हो
कल ही की बात
गलतियाँ कर के भी
गांव की बातें
ट्रेन की खिड़की
तोपों और बंदूकों से
दिवस मूर्खों का
नहीं सहा जाता
पखवारे के हर दिन
पत्थर  
पतझड़ी मौसम
परिभाषाएँ
पर्वत तो फिर पर्वत है
बुढ़ापा
राजधानी की इमारतें
स्वप्न आखिर स्वप्न
सच क्या है

  गाँव की बातें

भरपूर शहरी वातावरण में
गाँव की बातें
एक शगल है
दूसरों की पीठ ठोकने
अपनी, थपथपाने का

गोल मेजों के ईद-गिर्द
मच्छरों की तरह
भिनभिनाते उद्गार
गहन विचार,
भारी भरकम सिफ़ारिशें
सभी कुछ
उछल-उछल कर
गुम हो जाते हैं
दफ्तरों की फाइलों में
या फिर लाइब्रेरी की अलमारियों में
बन्द किताबों में
कुछ इस तरह

कि उनकी सुगंध
गाँव तो क्या
पड़ोस की उस दुकान तक भी
नहीं पहुँच नहीं पाती।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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