अनुभूति में अशोक आंद्रे की रचनाएँ—
छंदमुक्त में-
उनके पाँव
उम्मीद
दर्द
नदी
बाबा तथा जंगल |
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दर्द
दर्द बहुत गहरा होता है -
समुद्र को नापा जा सकता है
आकाश को भी प्रकाशवर्ष से
जोड़ा जा सकता है,
लेकिन दर्द-
उसकी थाह नहीं होती है,
उसकी डूब में कोई आधार नहीं मिलता ,
इसकी गहराई विशाल होती है
ये जीवन की
जड़ों के बीच
अपना स्थाई घर बना लेती है
तभी तो मनुष्य
उसे थामने की कोशिश में
ता-उम्र
उसकी गहराई में
गोता लगाता रहता है।
३ दिसंबर २०१२ |