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अनुभूति में कात्यायनी की रचनाएँ—

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इस स्त्री से डरो
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भाषा में छिप जाना स्त्री का
माँ के लिये एक कविता
सात भाइयों के बीच चम्पा

छंदमुक्त में-
चाहत
प्यार पाँच कविताएँ

 

चाहत

खामोश उदास घंटियों के
बज उठने की सहसा उपजी ललक,
घास की पत्तियों का
मद्धम संगीत,
रेगिस्तान में गूंजती
हमें खोज लेने वाले की विस्मित पुकार,
दहकते जंगल में
सुरक्षित बच रहा
कोई नम हरापन।

यों आगमन होता है
आकस्मिक
प्यार का
शुष्कता के किसी यातना शिविर में भी
और हम चौंकते नहीं
क्योंकि हमने उम्मीदें बचा रखी थीं
और अपने वक्त की तमाम
सरगर्मियों और जोखिम के
एकदम बीचोबीच खड़े थे।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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