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अनुभूति में राजेन्द्र प्रसाद काण्डपाल की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
आदमी और साँप
आसमान का रोना
गाली बकते बच्चे
मैं
मैं रहबर

 

आदमी और साँप

एक फुटपाथ पर
एक आदमी सो रहा था ।
उसकी ठीक बगल में
एक सांप मरा हुआ पड़ा था ।
मैंने देखा,
मैंने सोचा,
एक सोया हुआ आदमी !
एक मरा हुआ सांप !!
दोनों बराबर बराबर !!!

९ जुलाई २०१२

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