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                  अनुभूति में
                  राजेश कुमार सिंह की  
                  कविताएँ- 
                   
                  
                  छंदमु्क्त में- 
                  अंकुर 
                  
                  कुछ इसलिए भी 
                  
                  कैसे कैसे समय 
                  
                  भावी जीवन की तैयारी में 
                  
                  मित्र और शत्रु 
                  
                  संकल्प 
                  
                  हम सुध-बुध अपनी भूल गए 
                  
                   
                  संकलन में- 
                  शुभकामना-ज्योतिजले 
                  शुभदीपावली-दीप 
                  जलेंगे  
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                  हम 
                  सुध-बुध अपनी भूल गए 
                   
                  हम सुध-बुध अपनी 
                  भूल गए, 
                  जीवन में, इतने द्वंद्व रहे। 
                  जड़, चेतन से हम दूर हुए, 
                  जग से, ऐसे संबंध कटे। 
                  असहाय जिये, निरुपाय रहे, 
                  अपमानों के, कितने दंश सहे। 
                  कण-कण में बसने वाले को, 
                  तीरथ-तीरथ पूजने चले। 
                  आकाश असीमित था, लेकिन 
                  उड़ने पर अपने पंख जले। 
                  इस सजी-धजी नगरी में आ, 
                  पतझड़, वसंत से दूर भए। 
                   
                  ९ दिसंबर २००५ 
                   
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