अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में डॉ. शरदिन्दु मुकर्जी की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
क्रांति
नयी बिसात
बारिश की बूँदें
सन्नाटा
सावधान

 

बारिश की बूँदें

धरती के गालों पर
थपकी सी गिरती
बारिश की बूँदें
और –
ईर्ष्या से जलता
घोर कृष्ण वर्ण निर्मम आकाश
रात्रि के पट पर
अपनी ज्वाला को रेखांकित करता हुआ
हवा के केश पकड़कर झिंझोड़ रहा है –
मैं अचम्भित हूँ !
इस कुटिल ईर्ष्या के विपरीत
धरती के हृदय में स्नेह का संचार होते देखकर।
एक नयी भोर के साथ
पृथ्वी के अंक से
प्रस्फुटित हो रही हैं,
नई कोंपलें –
यह आश्वस्त करती हुई
कि आकाश अनंत है
किंतु पृथ्वी के आगे नगण्य;
यह पृथ्वी, यह धरती
माँ है आखिर.....!

१ अगस्त २०२२

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter