एक शाम
झील के एक छोर पे बैठ
सूरज को डूबते देख रहा हूँ
एक खूबसूरत दिन
मानो मुझसे विदा लेकर जा रहा हो
ज़िन्दगी का एक खुशनुमा पल
रफ़्ता- रफ़्ता अंजाम की ओर है
और डूबता सूरज
मानो कह रहा हो
शुभ रात्रि कल मिलेंगे
क्या पता कल क्या हो
हम रहें न रहें
मगर उम्मीद लिये
खुशनुमा यादों को सहेज कर
सूरज अपने रास्ते चला और
मैं अपनी राह
७ जुलाई २०१४ |