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अनुभूति में सुरेश यादव की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
चार छोटी कविताएँ
चाहता हूँ जब
ज़मीन
ताजमहल
माटी का घड़ा
यह शहर किसका है
रिश्ते
रोमानी बोध
शहर नंगा हुआ
सत्य
 

 

चार छोटी कविताएँ

१-देह की रोशनी

रात अगर बहुत लंबी हुई
अँधेरा बहुत गहरा हुआ
उम्मीदों पर हताशा का
अगर पहरा हुआ
अस्तित्व का अर्थ
तब कोई ज़रूर बता देगा
छोटा-सा एक जुगनू
अपनी देह को रोशनी बना देगा।

२-पूजा

धर्म के माथे पर
खून का तिलक
पूजा की यह
कैसी ललक?


३-चुभन से खेलता है

काँटों से घिरा फूल
जब-जब
हवा से खेलता है
बहाना भर होती है
हवा
हकीकत में फूल
कांटों को झेलता है
चुभन से खेलता है।

४-आग-पत्थर

सदियों से
ये पत्थर सो रहे हैं
अपनी छाती में
आग लेकर!
किसी भी चोट पर
हड़बड़ाकर
उठ खड़े होंगे
हाथों में आग लेकर!!

१ अक्तूबर २००६

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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