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अनुभूति में रामकृष्ण द्विवेदी 'मधुकर' की रचनाएँ—

अंजुमन में-
उफनाए नद की कश्ती
बढ़ाया प्रेम क्यों इतना

शिक्षा का संधान चाहिये

गीतों में-
बादल गीत

मोर पिया अब मुझसे रीझे

छंदमुक्त में—
किरन
जलकोश
जीवन सूक्त
दृष्टि
देखा है
नारी
प्रभात: दो रंग
पाँच छोटी कविताएँ
बुलबुला
साम्यावस्था
सावन

संकलन में-
हुए क्यों पलाश रंग रंगत विहीन

 

मोर पिया अब मोसे रीझे

बहुत मनाऊँ पिया नहीं रीझे
कोटि जतन करि मैं थकि हारी ओ अबहुँ न पसीजे

करि शृंगार सोडष मैं आई और सुनाई नूपुर की धुनि
बाहिंन झूलि गई इठलाकर खनकाकर आपन कर कंकनि
नाचूँ गाऊँ बहुरि मनाऊँ चरन पकरि कर करि अभिवंदनि
हँसि–हँसि के स्पर्श कराऊँ कजरारे नैनन की चितवनि
मैं सोचूं पर समझ न पाऊँ अस क्यों प्रियतम खीझे
बहुत मनाऊँ पिया नहीं रीझे

पिय को अपने महामिलन की बहुविधि गाकर याद दिलाऊँ
अपने विरह व्यथा की उनको जोरि हाथ मैं कथा सुनाऊँ
और दिखाऊँ अपने मंगल सुंदर पावन आदर्शों को
परम चेतना के सम्मुख गिर नीरव पतझड़ सम मुरझाऊँ
मैं व्याकुल हो परी अवनि पर बरबस अंखियन में जल सींचे
बहुत मनाऊँ पिया नहीं रीझे

एहि छन भूलि गई मैं निज को भूलि गई अपने जीवन को
परम समर्पण मन में जागा बैठी स्वयं समझि साजन को
प्रेम सुधा में सरबस डूबी चहुं दिसि प्रेम दिखे नैनन को
पुनि हंसि ठिठकोली मैं खाई बंधन मुक्त देखि निज मन को
अब उलटे पिय मोहिं रिझावैं आलिंगन भरि अंसुवन पौछें
मोर पिया अब मोसे रीझे

१६ मार्च २००६

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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