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रेतीला रूप

दूर दूर तक फैले
रेगिस्तान का रेतीला रूप
निहारा सराहा महसूस किया
जैसे हो माँ का आँचल
लहराता बलखाता
अपने आगोश में लेता
सूरज जलता सा उतरता
अपनी गर्मी से तड़पाता
धरती के अधर सुखाता
रोम रोम रूखा हो जाता
वसुधा को प्यासा कर जाता
प्यासी दृष्टि में आस जगाता

२५ जुलाई २०११

 

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