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पिता

मुझे याद आते हैं
दालान में बैठे, धूप सेंकते
और रसोई में
काम करती माँ के लिए
ज़ोर-ज़ोर से अखबार बाँचते
रिटायर्ड पिता।

राजनीति, अपराध और खेल के
दायरे से गुजरता अखबार,
चाय की चुस्कियों के साथ
सफ़र तय करता है,
और बासी खाने सा कोने में रखे
कूड़ेदान में जा गिरता है,
और समय बीतता जाता है।

मैं लैटर बॉक्स के पास पड़ा हुआ
पुराना अखबार उठाती हूँ
और उसकी बासी खुशबू में
खोज लाती हूँ
अखबार बाँचते पिता को
इतनी दूर यहाँ
कंगारूओं के देश में।



२८ नवंबर २०११

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