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अनुभूति में सुरेन्द्रनाथ मेहरोत्रा
की रचनाएँ —


तुकांत में-
आज के अर्जुन का आत्मबोध
आज कैसे गीत गाऊँ
नीति पथ
बाद मरने के
वरदान यह दो
शंकर का वरद पुत्

साहिल पे सफीना

मुक्तकों में-
तीन मुक्तक

संकलन में-

ज्योति पर्व में–नमन दीप को सौ सौ बार
दिये जलाओ–रात रात भर

 

वरदान यह दो

माँ मुझे वरदान यह दो
कर सकूँ कल्याण जग का
हर सकूँ सन्ताप जन का
हर सकूँ अन्धकार वन मैं
देवि दीपक इक निधन का
अन्ध के तम पूर्ण उर की
दीप रेखा एक कर दो।।

आर्त दुख पीड़ित हृदय का
जल रहा प्रत्येक क्षण जो
गल रहा प्रत्येक पल जो
मर रहा हर साँस में जो
माँ मुझे ऐसे हृदय का
शान्ति का क्षण एक कर दो
माँ मुझे वरदान यह दो।।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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