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अनुभूति में विजय कुमार सिंह की रचनाएँ—

गीतों में-
पर्ण पतझड़ पीत
फिर बोलो बोलेगा कौन
मन माँझी बन कर गाता है

मेरा देश
वक्त की किताब में

  वक्त की किताब में

वक्त की
किताब में एक कहानी लिख चलो
आन-बान-शान की जिंदगानी
लिख चलो

सत्य पर
सदा अटल सिर कभी झुके नहीं
श्रेय ओर अग्रसर पग कभी रुके नहीं
जोश और उमंग की चिर जवानी
लिख चलो

किसी का दर्द
देख कर अश्रु बन छलक गये
किसी के सूने मन भरे राग-रंग नये-नये
नेह और आस की कद्रदानी
लिख चलो

चहुँ दिशा घना
तिमिर दीप बन के जल उठो
शीत से भरी शिशिर पुष्प बन के खिल उठो
हर्ष और विषाद की आनी जानी
लिख चलो

मन से मन
मिला कभी स्वप्न नव सजा चलो
सुर में सुर मिला कभी संग-संग गा चलो
प्रेम और साथ की मेहरबानी
लिख चलो

७ मई २०१२

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