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अनुभूति में कन्हैयालाल नंदन
की रचनाएँ-

गीतों में-
अंग अंग चंदन वन
क्यों, आखिर क्यों?
जीवन-क्रमः तीन चित्र
तस्वीर और दर्पन
बोगनबेलिया
शापित कमलों का आत्म-मंथन
वर्जना का गीत

अंजुमन में-
अपनी महफ़िल
जो कुछ तेरे नाम
तेरी याद

हर सुबह

छंदमुक्त में-
ज़िन्दगी़ चार कविताएँ

संकलन में-
वसंती हवा-वसंत घर आ गया
धूप के पाँव - सूरज की पेशी
वर्षा मंगल - बादल गीत

 

अपनी महफ़िल

अपनी महफ़िल से ऐसे न टालो मुझे
मैं तुम्हारा हूँ, तुम तो सँभालो मुझे

ज़िंदगी! सब तुम्हारे भरम जी लिए
हो सके तो भरम से निकालो मुझे

मोतियों के सिवा कुछ नहीं पाओगे
जितना जी चाहे उतना खँगालो मुझे

मैं तो एहसास की एक कंदील हूँ
जब भी चाहो बुझा लो, जला लो मुझे

जिस्म तो ख़्वाब है, कल को मिट जाएगा
रूह कहने लगी है, बचा लो मुझे

फूल बन कर खिलूँगा, बिखर जाऊँगा
ख़ुशबुओं की तरह से बसा लो मुझे

दिल से गहरा न कोई समंदर मिला
देखना हो तो अपना बना लो मुझे

३१ अगस्त २००९

 

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