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अनुभूति में गोपाल दास नीरज की रचनाएँ-

दोहों में-
नीरज के दोहे

गीतों में-
कारवाँ गुज़र गया
खग उड़ते रहना जीवन भर
छिप छिप अश्रु बहाने वालों
धरा को उठाओ
नीरज गा रहा है
मुझको याद किया जाएगा
लेकिन मन आज़ाद नहीं है
साँसों के मुसाफ़िर

संकलन में-
ज्योति पर्व-जलाओ दिये
दिये जलाओ-तुम दीवाली बन कर

अंजुमन में-
दूर से दूर तलक

  मुझको याद किया जाएगा

आँसू जब सम्मानित होंगे मुझको याद किया जाएगा
जहाँ प्रेम का चर्चा होगा मेरा नाम लिया जाएगा।

मान-पत्र मैं नहीं लिख सका
राजभवन के सम्मानों का
मैं तो आशिक रहा जनम से
सुंदरता के दीवानों का
लेकिन था मालूम नहीं ये
केवल इस गलती के कारण
सारी उम्र भटकने वाला, मुझको शाप दिया जाएगा।

खिलने को तैयार नहीं थीं
तुलसी भी जिनके आँगन में
मैंने भर-भर दिए सितारे
उनके मटमैले दामन में
पीड़ा के संग रास रचाया
आँख भरी तो झूमके गाया
जैसे मैं जी लिया किसी से क्या इस तरह जिया जाएगा

काजल और कटाक्षों पर तो
रीझ रही थी दुनिया सारी
मैंने किंतु बरसने वाली
आँखों की आरती उतारी
रंग उड़ गए सब सतरंगी
तार-तार हर साँस हो गई
फटा हुआ यह कुर्ता अब तो ज़्यादा नहीं सिया जाएगा

जब भी कोई सपना टूटा
मेरी आँख वहाँ बरसी है
तड़पा हूँ मैं जब भी कोई
मछली पानी को तरसी है,
गीत दर्द का पहला बेटा
दुख है उसका खेल खिलौना
कविता तब मीरा होगी जब हँसकर ज़हर पिया जाएगा।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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