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अनुभूति में सुभद्रा कुमारी चौहान
की रचनाएँ-

कविताओं में--
उल्लास
झिलमिल तारे
बचपन
मधुमय प्याली
मेरा जीवन

गौरव ग्रंथ में--
झाँसी की रानी

संकलन में--
वसंती हवा - वीरों का कैसा हो वसंत

  मेरा जीवन

मैंने हँसना सीखा है
मैं नहीं जानती रोना;
बरसा करता पल-पल पर
मेरे जीवन में सोना।

मैं अब तक जान न पाई
कैसी होती है पीड़ा;
हँस-हँस जीवन में कैसे
करती है चिन्ता क्रीड़ा।

जग है असार सुनती हूँ
मुझको सुख-सार दिखाता
मेरी आँखों के आगे
सुख का सागर लहराता।

कहते है होती जाती
खाली जीवन की प्याली
पर मैं उसमें पाती हूँ
प्रतिपल मदिरा मतवाली।

उत्साह, उमंग निरन्तर
रहते मेरे जीवन में
उल्लास विजय का हँसता
मेरे मतवाले मन में।

आशा आलोकित करती
मेरे जीवन को प्रतिक्षण
है स्वर्णसूत्र से वलयित
मेरी असफलता के धन

सुख-भरे सुनहले बादल
रहते हैं मुझको घेरे,
विश्वास, प्रेम, साहस हैं
जीवन के साथी मेरे।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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