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अनुभूति में डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र की रचनाएँ-

नए गीतों में-
उत्तम पुरुष
पता नहीं
मैं समर्पित बीज सा
स्तब्ध हैं कोयल

गीतों में-
ऋतुराज इक पल का
केवल यहाँ सरकार है
गंगोजमन
ज़िन्दगी
देख गोबरधन
निकला कितना दूर
पीटर्सबर्ग में पतझर
राजा के पोखर में
 

संकलन में-
गाँव में अलाव- जाड़े में पहाड़

  पीटर्सबर्ग में पतझर

रात दिन झलते रहे
रंगीन पत्तों से
वृक्ष वे फिर भी रहे मेरे लिए
अनजान

वे नहीं थे भोजवृक्षों
की तरह अभिजात
मानते थे वे वनस्पति की
न कोई जात
पत्तियाँ उनकी सभी
होती कनेर-गुलाब
घोर पतझर में दिलाते
फागुनी अनुदान
वृक्ष वे फिर भी रहे मेरे लिए
अनजान

उड़ रहे हैं फड़फड़ा
इतिहास-जर्जर पत्र
दिख रही पतझार की
आवारगी सर्वत्र
डूबता दिन चांद गहना
चीड़ वन के पार
लडकियों के
सुर्ख गालों की तरह अम्लान
वृक्ष वे फिर भी रहे मेरे लिए
अनजान

9 दिसंबर 2007

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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