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अनुभूति में मधुसूदन साहा की रचनाएँ-

गीतों में-
आ गया दरपन लिए
किसे पुकारें
चुभते हैं पिन
छंदों की अंजलि
दीवारें
पसरा शैवाल
शहरी सौगात

 

 

  छंदों की अंजलि

छंदों की अंजलि
कहाँ चढ़े?

चौराहे के हाथों, गलियाँ बदनाम,
चाँदी के सिक्कों पर, बिकती शाम,
अन्तर की पीड़ा
कौन पढ़े?

टूट गए अनजाने, आस्था के सेतु,
सारे संबंध हुए, राहु और केतु,
वक्त का मुखौटा
कौन कढ़े?

पंखुरियाँ मुरझाईं, पात हुए पीत,
ऐसे में कौन लिखे, सावन के गीत,
रोज़ नये चित्र
कौन जड़े?

१४ दिसंबर २००९

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