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अनुभूति में मनोज जैन मधुर की रचनाएँ-

नयी रचनाओं में-
करना होगा सृजन
गाँव जाने से
छंदों का ककहरा
दीप जलता रहे
सुबह हो रही है

गीतों में-
गीत नया मैं गाता हूँ
छोटी मोटी बातों मे
दिन पहाड़ से
नकली कवि
नदी के तीर वाले वट


बुन रही मकड़ी समय की
मन लगा महसूसने
रिश्ते नाते प्रीत के
लगे अस्मिता खोने
यह पथ मेरा चुना हुआ है
लौटकर आने लगे नवगीत

शोक-सभा का आयोजन

संकलन में-
पिता की तस्वीर- चले गए बाबू जी

 

सुबह हो रही है

सुनहरी सुनहरी
सुबह हो रही है
1
कहीं शंख
ध्वनियाँ कहीं पर अज़ानें
चलीं शीश श्रद्धा चरण में झुकानें
प्रभा तारकों की स्वतः
खो रही है
1
प्रभाती
सुनाते फिरें दल खगों के
चतुर्दिक सुगंधित हवाओं के झोंके
नई आस मन में उषा
बो रही है
1
ऋचा कर्म
की कोकिला बाँचती है
लहकती फसल खेत में नाचती है
कली ओस बूँदों से मुँह
धो रही है

१५ जुलाई २०१६

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