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अनुभूति में नीलम श्रीवास्तव की रचनाएँ

गीतों में-
गाँठ सवालों की

गुमसुम गौरैया
ठंडा पानी
ठहरी हुई नदी
ढूँढ रहे इस घर में 

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गाँठ सवालों की

यों तो हैं जलते पलाश वन
और मोम के घर
कभी कभी सपनों में आती
सोने की चिड़िया

चिड़िया आती तो बरसों की बर्फ पिघलती है
सर्द रसोईघर में मीठी आग सुलगती है
द्वार द्वार शुभ अंक आँकते हाथ उजाले के
दूध दही की नदिया लाती
सोने की चिड़िया

चिड़िया आती सुमति जगाती है चौपालों की
सहमति की उँगलियाँ खोलती गाँठ सवालों की
चिंदी चिंदी उड़ जाते कागज अलगावों के
घर घर भरत मिलाप कराती
सोने की चिड़िया

चिड़िया आती तो राजा प्रियदर्शी होता है
साथ प्रजा के हँसता गाता जगता सोता है
स्वर्गादपि गरीयसी लगती मातृभूमि अपनी
राष्ट्रधर्म के पाठ सिखाती
सोने की चिड़िया

१ जुलाई २००६

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