अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में नीरजा द्विवेदी  की रचनाएँ-

गीतों में-
उठो पथिक
ऐ मेरे प्राण बता
तार हिय के छेड़ो न तुम
निशा आगमन
बलिदानी आत्माओं की पीड़ा
विरहिन लगती प्रकृति प्रिया
हे सखि
 

  ऐ मेरे प्राण बता

ऐ मेरे प्राण बता!
क्या भुला पाओगे?

वे झरोखे में छुपी तेरे नयनों की चुभन।
गोरे रंग में जो घुली वे गुलाबों की घुलन।
तेरा तन छूकर आती सन्दली मलय पवन।

ऐ मेरे प्राण बता!
क्या भुला पाओगे?

तेरी चूड़ी में बसी मेरे दिल की धड़कन।
मेरे आँगन में बजी वे पायल की रुनझुन।
मेरी नींदें थपकाती तेरे अधरों की धुन।

ऐ मेरे प्राण बता!
क्या भुला पाओगे?

तेरे घूँघट मे छुपी जो रतनारी चितवन।
वे कपोलों पर बसी लाजभरी इक थिरकन।
मेरा अन्तर अकुलाती वो प्रिया प्रिया की रटन।

ऐ मेरे प्राण बता!
क्या भुला पाओगे?

मेरे मन में जो लगी इक अनोखी-सी अगन
मेरे मानस में बसी तेरे अधरों की छुअन।
मेरा तन मन सिहराती तेरे श्वासों की तपन।

ऐ मेरे प्राण बता!
क्या भुला पाओगे?

मेरे सपनों में बसी तेरी मरमरी-सी बदन
स्याह अलकें छितराती छेड़ती मदमस्त पवन।
मेरा अन्तर तड़पाती तुझे पाने की लगन।

ऐ मेरे प्राण बता!
क्या भुला पाओगे?

२ फरवरी २००९

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter