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निर्मल विनोद

जन्म- १ जून, १९५० को जम्मू में।
शिक्षा-  स्नातक विज्ञान,  हिंदी आनर्स, स्नातकोत्तर हिंदी, पीएच.डी.।
 
कार्य-क्षेत्र- अध्यापन, पत्रकारिता, केज़ुअल समाचार-वाचक रेडियो एवं दूरदर्शन, कविता, गीत-नवगीत, ग़ज़ल, कहानी, शोध-समीक्षा, संपादन, अनुवाद, स्तंभ-लेखन। 

प्रकाशित कृतियाँ-
गीत-नवगीत-ग़ज़ल संग्रह- पत्थरों का दरिया
छंदमुक्त कविता संग्रह- छबयार के पंखों में (कविताएँ)
नवगीत संग्रह- साक्षी संध्याओं के, टूटते क्षितिज के साये।
गजल संग्रह- धूप धूप फ़ासला।
समीक्षात्मक गद्य- कविता के सामाजिक सरोकार (शोध-समीक्षा)। 
इसके अतिरिक्त डोगरी और पंजाबी भाषा में छह पुस्तकें तथा मौलिक, संपादित एवं  अनूदित लगभग बीस पुस्तकें प्रकाशित। देश भर की छोटी-बड़ी साहित्यिक पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन, रेडियो-दूरदर्शन से कविता-पाठ/मंच-संचालन। 

सम्मान एवं पुरस्कार-
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान से सौहार्द सम्मान (२०१८),जम्मू कश्मीर राज्य से साहित्य सेवार्थ स्टेट अवार्ड (२०१६), केंद्रीय हिंदी निदेशालय से 'टूटते क्षितिज के साये' के लिए श्रेष्ठ कृति पुरस्कार (१९९७-९८)। जम्मू कश्मीर एवं अन्य राज्यों की अनेक  साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा समय समय पर सम्मानित। 

संप्रति- राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, मानित विश्वविद्यालय से सेवा-निवृत्त होने के बाद स्वतंत्र लेखन।

ईमेल- dr.nvinod16@gmail.com

  अनुभूति में निर्मल विनोद की रचनाएँ-

गीतों में-
अस्थायी विवशता
गीत के शगूफे
बंधु लिखो छंद
यात्राओं के दंश
सुबहें भी देखेंगे

 

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