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अनुभूति में डा. राजेंद्र गौतम की रचनाएँ 

नए गीत-
पाँवों में पहिए लगे
क़स्बे की साँझ

द्वापर प्रसंग

गीतों में-
चिड़िया का वादा
पिता सरीखे गाँव
बरगद जलते है

मुझको भुला देना
मन, कितने पाप किए
महानगर में संध्या
वृद्धा-पुराण
शब्द सभी पथराए
सलीबों पर टंगे दिन

दोहों में-
बारह दोहे

 

 

पाँवों में पहिए लगे

भूल गया मेरा शहर
सब ऋतुओं के नाम

गुलदस्ते
मधुमास को
बेचें बीच बजार
सिक्कों की खनकार में
सिसके मेघ मल्हार

गोदामों में सिसकती
कब से वत्सल घाम

पाँवों में
पहिए लगे
करें हवा से बात
पर खुद तक पहुँचे कहाँ
हम चलकर दिन रात

यहाँ वहाँ भटका रहीं
रोशनियाँ अविराम

पूरब सुकुआ
कब उगा
कब भीगी थी दूब
हिरनी छाई गगन कब
चाँद गया कब डूब

सभी कथानक गुम हुए
भौचक दक्षिण वाम

३ मार्च २००८

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