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अनुभूति में डॉ रामसनेही लाल शर्मा 'यायावर' की रचनाएँ-

नया गीत-
सुनो अँधेरा

दो नए गीत
मेरी प्यास
गीत का रचाव

दोहों में-
विवेकानंद दोहे (विवेकानंद जयंती के अवसर पर)
ग्रीष्म के दोहे

अंजुमन में-
कभी खुशी कभी दर्द
दिल में गुलशन आँख में सपना
मन घनश्याम हो गया

गीतों में-
केसर चंदन पानी के दिन
पूछेगी कल मेरी पोती
बाँटते जल चलें
मैं यायावर
लघु प्राण दीप
लड़ते-लड़ते मन हार गया

संकलन में-
मातृभाषा के प्रति- हिंदी की जय जयकार करें
शुभ दीपावली-जीता दीपक

 

मेरी प्यास

नदिया- नदिया, सागर- सागर
पनघट- पनघट, गागर- गागर
मेरी प्यास भटकती दर- दर

भटकन की कैसी मजबूरी
भीतर है अपनी कस्तूरी
संगम- संगम, तीरथ- तीरथ
मन्दिर- मन्दिर, देव- देव घर
मेरी आस भटकती दर- दर

खोज रहा मन गंध सुहानी
युगों- युगों की यही कहानी
उपवन- उपवन, चन्दन- चन्दन
सावन- सावन ,जलधर- जलधर
मेरी सांस भटकती दर- दर

यह कैसा अनजाना भ्रम है
धरा- गगन जैसा संगम है
संत- संत पर, पंथ- पंथ पर
मरघट- मरघट, सुधा कुंड पर
मेरी लाश भटकती दर- दर

9 अप्रैल 2007

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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