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रामस्वरूप सिंदूर

जन्म- २७ सितंबर १९३० में दहगवाँ जालौन में।

कार्यक्षेत्र-
अध्यापन एवं लेखन। उनका कर्म क्षेत्र कानपुर रहा। यहीं उन्होंने शिक्षा प्राप्त की, पत्रकारिता की और डीएवी कालेज में अध्यापन कार्य किया। १९९८ में प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद, वे अपने पुत्र के साथ रहने के लिए लखनऊ चले गये थे। वहाँ से उन्होंने एक पत्रिका 'गीतांतर' भी निकाली। श्री सिन्दूर के तीन काव्य संग्रह प्रकाशित हुए। वह कवि सम्मेलनों के लोकप्रिय कवि रहे थे। आकाशवाणी से आज भी उनके गीत प्रसारित होते हैं।

प्रकाशित कृतियाँ-
नवगीत संग्रह- हँसते लोचन रोते प्राण, आत्म रति तेरी लिए एवं शब्द के संचरण।

सम्मान व पुरस्कार-
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के 'साहित्य भूषण सम्मान' से अलंकृत।

२५ जनवरी २०१३ को उनका निधन हो गया।

 

अनुभूति में रामस्वरूप सिंदूर की रचनाएँ— 

नयी रचनाओं में-
ऐसे क्षण आए
खो गई है सृष्टि
झंकृत धरती आकाश
बाहर के मधुबन से
सब कुछ भूला

गीतों में-
अकथ्य को कहने का अभ्यास
आत्म-पुनर्वास भी जियें
आनन्द-छन्द मेरे
घर में भी सम्मान मिला है
ज्वार के झूले पड़े हैं
जन्मान्तर यात्राएँ की हैं
मौन टूटा छंद में
तय न हो पाया
देने को केवल परिचय है
देह मुक्ति मिल गयी मुझे
मरने से क्या होगा
मैं जीवन हूँ
शब्द के संचरण मे
स्वीकार लिया भुजबन्ध
सावन में

‘सुनामी’ ज्वार रह गया हूँ

संकलन में-
होली है- अनुबंध लिखूँ
वर्षा मंगल- अब की
बरखा

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