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अनुभूति में सावित्री परमार की रचनाएँ-

गीतों में-
कहाँ गाँव कब शहर
खुलकर हँसे
बिखर गए दिन
लौट आएँ दिन
सूरज है बीमार

  लौट आएँ दिन

मन करता है
लौट आएँ फिर
पुराने दिन

चबूतरे
चौपाल
आल्हा और ऊदल के
बाँसुरी और गदबदाते
नीम पीपल के
पर्व मेलों के
मल्हारों के
सुहाने दिन

मन करता है
लौट आएँ फिर
पुराने दिन

तुलसी की
गंध लिये
चौकपुरे आँगन के
नेह पगे
बतरस के
झरबेरी जामुन के
प्याए से
तन- मन
लुभाते दिन

मन करता है
लौट आएँ फिर
पुराने दिन

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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