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अनुभूति में श्याम नारायण श्रीवास्तव श्याम की रचनाएँ— 

गीतों में-
क्या होगा
बेमौसम भी
रामरती
संवादों के सेतु
हालत बदले

संकलन में-
कचनार के दिन- कचनार देखो

 

बेमौसम भी

बेमौसम भी
पंचवटी में
गाना चलता है।
बिना चले भी
मन के संग जमाना चलता है।

जेठ-मास की
दुपहर बैठे
पीपल पेड़ तले,
भेड़-बकरियाँ
गाय-भैंस
चरवाहे हिले मिले,
बाहर लू
काया अन्‍दर
पगराना चलता है।

सावन
खूब नहाना,
नाव बना के तैराना,
खुशबू
के पीछे पागल
रातों दिन मँडराना,
संग साँसों अमोल अतीत
खजाना चलता है

रूको, सुनाई
नहीं पड़े
खर्राटे, जगहर है
काम बहुता कल,
मेहमानों से
भरा-पूरा घर है।
भीतर स्‍वीकृति
बाहर छदम बहाना चलता है
बेमौसम भी
पंचवटी में गाना चलता है।

४ अप्रैल २०११

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