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डॉ शान्ति देवबाला

न्म- ३ जून १९२७
शिक्षा- एम ए अन्तर्राष्ट्रीय राजनय, राजनीति शास्त्र, पी-एच.डी.

प्रकाशित कृतियाँ
आपकी डेढ़ दर्जन से अधिक पुस्तकों में से ‘अग्नि पुष्प’ एवं ‘डूबते सूरज की लाल किरण’,(कहानी संग्रह), ‘इण्डिया दैट इज भारत’ (व्यंग्य संग्रह), ‘कबिरा आवा लौटि के’ एवं ‘स्वर धरा के ’ ( काव्य संग्रह ) आदि लोकप्रिय रचनाएं हैं। उनके सम्पादन में साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था ‘अभिव्यक्ति’ के ग्यारह कहानी संग्रह प्रकाषित हुए तथा बारहवां कहानी संग्रह ‘ तिर्यक रेखाएं’ उन्हे समर्पित किया गया।

पुरस्कार व सम्मान-
‘सुवर्ण भूमि की ओर’ पर उत्तर प्रदेष हिन्दी संस्थान का सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय, नामित पुरस्कार (१९९९) , ‘परछाइयों का दर्पण’ व्यंग्य संग्रह पर महादेवी वर्मा नामित पुरस्कार(२०००), ‘ विष्णु सहस्त्रनाम-एक व्याख्या’, को नन्दकिषोर देवराज सर्जना पुरस्कार (२००३) तथा ‘अग्नि पुष्प’ को श्री राम प्रसाद विद्यार्थी रावी सर्जना पुरस्कार (२००३) प्रदान किया गया।

अनेक सम्मानों से समादृत देवबाला जी पर डाक्यूमेंट्री बनी है। उनकी रचनाएं पाठ्यक्रमों में सम्मिलित हैं ,तथा रचनाओं का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया है। अनेक अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में उनकी भागीदारी रही।

निधन- १६ फरवरी २०१६

  अनुभूति में डॉ. शांति देवबाला की अन्य रचनाएँ-

होली का पर्व
होली मिलन
 

 

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