अनुभूति में
सलोनी राजपूत की रचनाएँ-
बालगीतों में-
गुब्बारे में बैठे बैठे
टर्र टर्र कर मेंढक गाए
मेरे मन को भाई
हुआ सवेरा
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टर्र-टर्रकर मेढक गाए
कूद-कूदकर गीत सुनाए,
टर्र-टर्रकर मेढक गाए!
जहाँ देखता कोई कीड़ा,
झट-पट अपनी जीभ बढ़ाए!
टर्र-टर्रकर मेढक गाए!
छप-छप करके नाच दिखाता,
तैर-तैर के गोते खाए!
टर्र-टर्रकर मेढक गाए!
सरक-सरक के चढ़े पेड़ पर,
चूस-चूस के अमिया खाए!
टर्र-टर्रकर मेढक गाए!
३१ जनवरी २०११ |