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कहीं मुश्किल
कोई दावे की खातिर
रोटी या फूलों के सपने
हिज्र में भी गुलाब

माहियों में-
माहिये

 

साथ चलना है

साथ चलना है क़ायदा रखिए
हो जरूरी तो फ़ासला रखिए

ज़िंदगी में हैं मोड़ आने कई
लॉन्ग जर्नी है हौसला रखिए

सिर्फ़ महसूस करके लीजे लुत्फ़
दर्दे-दिल कोई अनकहा रखिए

हादसा पेश आए जाने कब
जेब में घर का इक पता रखिए

रहके ग़ाफ़िल बढ़ेगी उलझन ही
होश के साथ आइना रखिए

एक दिन इन्क़लाब लाएगा
सोच में 'रीत' ज़लज़ला रखिए

१ अक्टूबर २०२३

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