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अनुभूति में मन दलाल की रचनाएँ-

गीतों में-
एक बंजारापन
कान्हा का हर रास अनय है
जीवन
तेरी सदा से सम्पदा है
प्रीत के तार लगाए

 

 

 

 

प्रीत के तार लगाए

धड़कन धड़कन कितने बंधन
प्रीत के तार लगाए

किसी के हाथों
में उलझी किसी के हाथो की रेखायें
कौन किसके भाग लिखा है कौन जाने कौन बताये
न तो ये इस पार ही छोड़े न उस पार लगाये
धड़कन धड़कन कितने बंधन
प्रीत के तार लगाये

गज़ब किसी का
आकर्षण है अजब किसी का सम्मोहन
जितना भागे भागे जाये उतना खींचे खींचे आये
मिट्टी के तन काँच ह्रदय कौन कुम्हार लगाये ?
धड़कन धड़कन कितने बंधन
प्रीत के तार लगाये

८ जुलाई २०१३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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