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भुन भुन मच्छर

भुन भुन मच्छर
चुगली खाता
कोई न मुझको
पास बुलाता
मच्छरदानी
जेल हो गई
किसको काटूँ
मुन्नी सो गई
सुबह सुबह उठ जाना है
चिड़ियों का सुनना गाना है

-शैल अग्रवाल

मकड़ी रानी

मकड़ी रानी मकड़ी रानी
बतलाओ तो प्रश्न हमारा
कैसे तुमने जाल बुना है
इतना सुंदर इतना प्यारा



जिससे जाल बुना वो धागा
भला कहाँ से लाती हो
बुनने वाली जो मशीन है
वो भी कहाँ छुपाती हो



एक प्रार्थना तुमसे मेरी
है छोटी सी सुनो ज़रा
मैं पतंग का धागा दे दूँ
मेरे कपड़े बुनो ज़रा

-लक्ष्मी शंकर वाजपेयी

मकड़ी का जादू

मकड़ी का तुम देखो जादू
अपने पर है कैसा काबू
खूब दिखाती नट का खेल
कभी नहीं होती है फ़ेल


मेहनती मकड़ी

मकड़ी घर घर में है होती
दिखने में तो लगती छोटी
पर मेहनत की बड़ी मिसाल
झटपट बुन देती है जाल

-भावना कुंअर

 

 

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