उत्सव नव वर्ष का
पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश

२९. १२. २०१५

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सच कह दूँ तो

 

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सच कह दूँ तो एक कलेण्डर
दोहरायेंगे हम हर साल.

मुँह पर पत्थर रख कर हमने
पिछले दिन काटे हैं अपने
नहीं उतरते
भरी आँख से
कच्ची नींदों वाले सपने

सच कह दूँ तो फिर कल होंगे
जी लेने के तीन सवाल.

ऊँच नीच क्या असली-नकली
है सब घटना क्रम जीवन का
इस चर्चा में
हल निकलेगा
केवल भ्रम है अपने मन का

सच कह दूँ तो मौसम अब भी
रोज बदल देता है चाल..

जब से गुजरी हैं गलियों से
हाँक लगातीं कुछ आवाजें
निर्णय लेती नहीं
खिडकियाँ
बात नहीं करते दरवाजे

सच कह दूँ तो क्या गारण्टी
दाल गलेगी अगले साल

- निर्मल शुक्ल

उत्सव नव वर्ष का

गीतों में-

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अनिलकुमार वर्मा

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अश्विनीकुमार विष्णु

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आकुल

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उमाप्रसाद लोधी

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निर्मल शुक्ल

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डॉ. प्रदीप शुक्ल

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पद्मा मिश्रा

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प्रणव भारती

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ब्रजनाथ श्रीवास्तव

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शैलेश वीर

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सौरभ पाण्डेय

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-त्र

छंदों में-

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अशोक कुमार रक्ताले

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ज्योतिर्मयी पंत

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टीकमचंद ढोडरिया

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रघुविन्द्र यादव

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अंजुमन में-

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कल्पना रामानी

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सुरेन्द्रपाल वैद्य

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छंदमुक्त में-

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अमृता प्रीतम

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उमेश मौर्य

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जयप्रकाश मानस

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