अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

दीप धरो
वर्ष २०११ का दीपावली संकलन

ज्योतिर्मय आई दीवाली



 

ज्योतिर्मय आई दीवाली
पुलकित है हिय में हर आली
दीपक थाल लिये

श्री पूजन संग गणपति वंदन
मधुर गीत स्वर का स्पंदन
शोभित है हर ओर गगन के
घोर अमावस माथे चंदन
नीरज नाल लिये

वन्दनवार पटाखे लड़ियाँ
बचपन झूमे ले फुलझड़ियाँ
कम्पित गात धरे पग धीरे
कुसुमित नवल वधू मन कलियाँ
पुष्पित माल लिये

स्नेह अकिंचन अंतस तमसित
काव्य प्रकाश भुवन में उजसित
वागेश्वरि वीणा झंकृत कर
राग विहाग हृदय हो विकसित
माँ उर माल लिये

-श्रीकान्त मिश्र 'कान्त'

२४ अक्तूबर २०११

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter