अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

शुभ दीपावली

अनुभूति पर दीपावली कविताओं की तीसरा संग्रह
पहला संग्रह
ज्योति पर्व
दूसरा संग्रह दिए जलाओ

दीप जलाएँ

दीप से दीप जलाएँ।
आओ दीप से दीप जलाएँ।
प्रीत से प्रीत बढ़ाएँ।
आओ प्रीत से प्रीत बढ़ाएँ।

घर आँगन का।
मन प्रांगण का।
हर कोना जगमगाएँ।
दीप से दीप जलाएँ।
आओ दीप से दीप जलाएं।

ढोल धमाके
धूम धड़ाके।
मिलकर शोर मचाएँ।
दीप से दीप जलाएँ।
आओ दीप से दीप जलाएँ।

फुलझड़ियों से
और लड़ियों से
सतरंगी छटा बनाएँ।
दीप से दीप जलाएँ।
आओ दीप से दीप जलाएँ।

आपदाओं से झुलसे चेहरे।
हर पल पर काली रात के पहरे।
आओ मिलकर दूर हटाएँ।
दीप से दीप जलाएँ।
आओ दीप से दीप जलाएँ।

रौशन हो हर चेहरा।
फिर से हर गुलशन महकाएँ।
फिर एक उम्मीद जगाएँ।
आओ फिर एक दीप जलाएँ।

-गौरव ग्रोवर
1 नवंबर 2006

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter