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शुभ दीपावली

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दीपावली त्यौहार

अंधियारे में डूबा घरबार।
सर्व व्याप्त है भ्रष्टाचार।
जन मानस के रोम रोम से
गूँज रहा गहन चीत्कार।

मानवता का दीप जल रहा।
अंधियारे को दूर कर रहा।
आशाओं को पूर्ण कर रहा।
जगमग करता सारा संसार।

अँखियों की छोटी खिड़की से।
झिलमिल उजियारा झाँक रहा।
जीवन की हर एक डगर से।
बचपन की ड्योढ़ी को लाँघ रहा।
देता सच्चा प्यार दुलार।

दिलों के बीच खड़ी जो।
आज गिरा दे वो दीवार।
आओ मिलकर खूब मनाएँ।
दीपावली का पावन त्यौहार।

गौरव ग्रोवर
9 नवंबर 2007

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