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प्रवेशांक १. १. २००१

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इस सप्ताह की कविता

 

 

 

सच

मैने अपने होंठ जला कर, जो भी सच है बोल दिया वह,
यदि सुनने में कान तुम्हारे जलें तो मेरी क्या गलती है ?

मीठी नदियों का शोषण कर सम्मानित खारे सागर है
जलयानों के रत्न लूट कर बने हुए ये रत्नाकर हैं
इनकी तृष्णा की चौखट पर तृप्ति प्रतीक्षारत बैठी है
ये अपनी ही प्यास के जैसे बने हुए नौकर चाकर हैं

लोक तृषा नित सौ सौ आंसू ढ़ार रही सागर के तट पर
अब सागर में खारापन ही पले तो मेरी क्या गलती है?

सड़कें सकरी हुई निरंतर दोनो ओर खुली दूकानें
ऐसा यहां नहीं है कोई बिका न जो जाने अनजाने
एक लुकाठी वाले ने कल समझाया था सबको, लेकिन
बिकने वालों की जेबों में बिकने के हैं लाख बहाने

बिकते बिकते भूल गए तुम, खुद का ही परिचय हटरी में
अब तुमको अपनी परछाई छले तो मेरी क्या गलती है?

जो भी है निष्पंद कलाई उसपर रहती स्वर्ण घड़ी है
किसे पता है वह बरसों से चाभी के बिन बंद पड़ी है
कालव्याख्या करने वाले भी पहने हैं बंद घड़ी ही
मगर घड़ी के रूक जाने से यह दुनिया कब बंद पड़ी है?

परिवर्तन के यज्ञ–अश्व की थाम लगाम न पाया कोई
यदि वह मेरे पीछे पीछे चले तो मेरी क्या गलती है?

खोटे सिक्कों की बदचलनी पर बाज़ार नहीं शर्मिन्दा
निन्दा यहां करें तो कैसे यहां बड़ाई सी है निन्दा
'जो चल जाए वही खरा है', कहने वाले बहुत मिलेंगे।
मगर पारखी एक तो होगा किसी शहर में अब भी ज़िन्दा

सांचा कभी खरे सिक्कों का तोड़ नहीं सकतीं टकसालें
यही सत्य इन बाज़ारों को खले तो मेरी क्या गलती है?

— जीवन यदु

गणतंत्र दिवस के अवसर पर—
१ जयशंकर प्रसाद
२ नीरज 

गौरवग्रंथ में धारावाहिक —
कवितावली


गौरवग्राम में—
डॉ. मोहन अवस्थी 

कविताओं में —
१ केशरी नाथ त्रिपाठी
२ शंभूनाथ सिंह
नागार्जुन

दोहों में—
निदा फ़ाजली 
२ तुलसी

अंजुमन में—
इब्ने इंशा
राज जैन
 

नई हवा में—
अखिलेश सिन्हा

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नव वर्ष और भारतीय गणतंत्र दिवस की शुभकामनाओं के साथ अनुभूति का पहला अंक आपके हाथों में है।

आपके जिस अनन्य प्रेम और सहयोग ने इसे अभिव्यक्ति से अलग एक संपूर्ण आकार दिया है, उसके लिये हम अनुग्रहीत हैं।हमने भी कुछ नये स्तंभों के साथ इसे नया रूप देने की कोशिश की है। विश्वजाल पर हिन्दी लिखने वालों के लिये यह नयी दिशाएं, अधिक अवसर और बेहतर काव्य सामग्री प्रदान करे इस प्रयत्न के साथ हम यह नया कदम उठा रहे हैं। आपके सहयोग और सुझावों की प्रतीक्षा में — संपादक मंडल

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
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