प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित
 पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति-तुक-कोश

४. ५. २०१५-

अंजुमन उपहार काव्य संगम गीत गौरव ग्राम गौरवग्रंथ दोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति
कुण्डलिया हाइकु अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला रचनाकारों से

तुमने ही बिन पढ़े

----------

तुमने ही बिन पढ़े
जिन्‍हें कोने में डाल दिया
वे तो सीधी-साधी लिपि में
लिखी इबारत हैं

उनमें तेरा बचपन है
तेरा कैशोर्य भरा
उनमें तेरा पढ़ना-लिखना
यौवन हरा-भरा
झुकी कमर झुरियाये चेहरे
अम्‍मा-बापू के
उम्‍मीदों के सूखे सरवर
कितने आहत हैं

अटकन-बटकन दही चटोकन
चींटी-धप तेरी
क्षण बाहर क्षण भीतर
तेरी घर-घर की फेरी
सिसक-सिसक कंधे पर रोती
बिट्‌टो हुई बिदा
धीरज देने वाले
तेरे प्‍यार भरे खत हैं

उम्‍मीदों का पेड़ आँख में
कब का मरा हुआ
तेरी गुजरी बहना का
वह चेहरा डरा हुआ
मंगलकामनाओं की खातिर
जुड़ते हाथ यहाँ
चंदन वंदन पुष्‍प ईश को
अर्पित अक्षत हैं

- राजा अवस्थी

 

इस सप्ताह

गीतों में-

bullet

राजा अवस्थी

अंजुमन में-

bullet

बाबूलाल गौतम

छंदमुक्त में-

bullet

अजामिल

कुंडलिया में-

bullet

साधना ठकुरेला

पुनर्पाठ में-

bullet

स्वदेश

पिछले सप्ताह
२७ अप्रैल २०१५ के अंक में

गीतों में-

bullet

सौरभ पांडेय

अंजुमन में-

bullet

नवीन चतुर्वेदी

छंदमुक्त में-

bullet

मनोज चौहान

मुक्तक में-

bullet

हरिवल्लभ शर्मा

पुनर्पाठ में-

bullet

सुदीप शुक्ल

अंजुमनउपहार काव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंकसंकलनहाइकु
अभिव्यक्तिहास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतरनवगीत की पाठशाला

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है।

Google
Loading

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग :
कल्पना रामानी