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अभिव्यक्ति तुक-कोश

२७. ४. २०१८

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कुण्डलिया हाइकु अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला रचनाकारों से

आ गयी गर्मी

 

 

आ गई गर्मी,
तपे धरती-गगन-तन-मन

सूर्य पहले से अधिक
तपने लगा है अब
मान लो जैसे अधिक
खटने लगा है अब
ताप से व्याकुल हवाएँ
दौड़ती सरपट
प्रौढ़ होता जा रहा है
ग्रीष्म का यौवन

है कहीं ए. सी. कहीं पंखा
कहीं कूलर
तो कहीं तन स्वेद से
लथपथ पड़ा तपकर
सूर्य शोषक हो गया है
दीन लोगों का
मित्र सम है ग्रीष्म
जिसके पास है साधन

प्यास नव निर्माण की
ऐसी जगी हममें
खो रहे संसाधनों को
प्रगति के भ्रम में
सूखते नद, ताल, पोखर,
सूखती धरती
बदलते पर्यावरण से
है दुखी जीवन

- राहुल शिवाय

इस माह
ग्रीष्म महोत्सव के अवसर पर

गीतों में-

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अनूप अशेष

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अश्विनी कुमार विष्णु

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आचार्य गिरिमोहन गुरु

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आभा सक्सेना दूनवी

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कल्पना मनोरमा

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कल्पना रामानी

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कुमार रवीन्द्र

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कृष्ण भारतीय

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गरिमा सक्सेना

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चन्द्रप्रकाश पाण्डे

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डॉ. महेन्द्र भटनागर

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देवव्रत जोशी

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देवेन्द्र सफल

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प्रदीप शुक्ल

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बसंत कुमार शर्मा

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ब्रजनाथ श्रीवास्तव

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भावना तिवारी

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मधु शुक्ला

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मलखान सिंह सिसौदिया

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मानोशी चैटर्जी

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योगेन्द्र प्रताप मौर्य

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रंजन कुमार झा

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रंजना गुप्ता

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रमा प्रवीर वर्मा

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रविशंकर मिश्र रवि

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राकेश सुमन

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राजेन्द्र वर्मा

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राहुल शिवाय

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विनोद निगम

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शशिकांत गीते

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शशि पाधा

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शशि पुरवार

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शिवानंद सिंह सहयोगी

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शीलेन्द्र सिंह चौहान

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सरस्वती माथुर

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सीमा अग्रवाल

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सुरेन्द्र कुमार शर्मा

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सुरेन्द्रपाल वैद्य

छंदमुक्त में-

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अजित कुमार

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अश्विन गांधी

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मधु संधु

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शैलेष वीर

छंदों में -

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ओमप्रकाश नौटियाल

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परमजीतकौर रीत

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग :
कल्पना रामानी