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						स्कूल जाते 
						हुए बच्चे  |  
                    
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						आँगन दे अनगिनत दुआएँ  
						चौखट ले हर बार बलाएँ  
						सुन लो  
						गली सड़क चौराहों  
						बच्चे घर से निकल रहे हैं  
						
              
						. 
						इत्र महकता मुस्कानों में  
						फूलों सी हर एक सवारी  
						लगा भाल पर काला टीका  
						निकली रिक्शे में फुलवारी  
						पड़ मत जाना  
						बुरी निगाहों  
						बच्चे घर से निकल रहे हैं  
						
              
						. 
						टहनी टहनी लाड़ दिखाए  
						किरन धरे मस्तक पर चुम्बन  
						बादल हाथ फिराता सर पर  
						हवा करे कस कर आलिंगन  
						दूर हटो  
						दुख दर्द कराहों  
						बच्चे घर से निकल रहे हैं  
						
              
						. 
						बँधे हुए टाई में सपने  
						जूतों के तस्मों में ममता  
						इंतज़ार में इनके पल पल  
						खिड़की का मुश्किल से कटता  
						साथ रहो  
						हर वक़्त पनाहों  
						बच्चे घर से निकल रहे हैं  
						
              
						. 
						टिफिन बॉक्स में अन्नपूर्णा  
						पानी की बोतल में अमरित  
						मन्नत ने धागे में बाँधी  
						इनकी पूरी उम्र सुरक्षित  
						छूना मत  
						अपराध गुनाहों  
						बच्चे घर से निकल रहे हैं  
						
              
						. 
						-- संध्या सिंह |  
                     
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						इस माह 
						
						(अपनी 
						पाठशाला 
						विशेषांक में)
						  
						गीतों में- 
						
						
						छंदमुक्त 
						में- 
						
						छंदों में- 
						
						
						
						  
						अंजुमन में- 
						
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