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अनुभूति में अश्वनि शर्मा की रचनाएँ-

अंजुमन में—
दलालों का हुनर
दुनियादारी है
देखिये देखिये
रात बीती
हैं ये मेहमान

 

रात बीती

रात बीती पर न आई नींद
ए सपन तू ने चुरा ली नींद

इक इशारा सरसराया मौन
एक लम्हें ने उड़ा दी नींद

याद आये जब कभी दो बोल
नींद में ही गुनगुनाई नींद

रात भर गरजा, न बरसा बूँद
कर गया लेकिन पराई नींद

ये कसक है आँख में मौजूद
क्यों भला हम ने खँगाली नींद

जागरण का शंख फूँके कौन
गाँव ने घर में बसा ली नींद

२५ नवंबर २०१३

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