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अनुभूति में बाबूलाल गौतम की रचनाएँ-

अंजुमन में-
जब तक मेरी बात
जब से उसके हाथ में
नहीं वो लौट कर आया
मेरी गज़लों से बच कर
सैलाब ने जो छोड़ी

 

मेरी गज़लों से बच कर

मेरी गज़लों से बच कर निकलिये या गौर से पढिये
मैं इनमें बम भी रखता हूँ खुदाया पैर मत रखिये

गुनाह निकले हैं ऐसे आपके कि सबको दिखते हैं
सियासत के फटे दामन से जितना भी इन्हें ढकिये

गिरफ्तारी हो मुजरिम की अरज कीजे ये हाकिम से
मसलन साँप से कहिये कि जाकर साँप को डसिये

बिलौना भर के जो आया है यह दिल्ली की धोवन है
नहीं निकलेगा माशा घी भले ही उम्र भर मथिये

मकर्रर हो चुकी है यह जगह कल कारखानों को
दरख्तों को हिदायत है नयी बस्ती में जा बसिये

४ मई २०१५

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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