| 
              इंद्रधनुष में 
               इंद्रधनुष में जैसे रंग 
              ख्वाब रहे हैं मेरे संग 
              उस चेहरे ने दस्तक दी 
              तन मन में भर गई उमंग 
              प्रेम नगर में पता चला 
              चाहत की गलियाँ हैं तंग 
              मैं कुछ ऐसे तन्हा हूँ 
              जैसे कोई कटी पतंग 
              खुशबू ने फूलों से कहा 
              जीना मरना तेरे संग 
              लमहे में सदियाँ जी लें 
              हम तो ठहरे यार मलंग 
              २८ अप्रैल २००८  |